pandav leela cultural vikasnagar ghatvikasnagar ghat
ghat garhwal Ki sadiyon purani dharohar h .jiska aayojan yahan gramin xetron m
kiya jata h .pandav nritya ghat kee pratyek gramsabhaon me har sal kiya Jane
wala karyakaram hPA DAV leela Sanskriti . ghat garhwal Ki sadiyon purani
dharohar h .jiska aayojan yahan gramin xetron m kiya jata h .pandav nritya ghat
kee pratyek gramsabhaon me har sal kiya Jane wala poranik kryakrm h ..safed
wastron me sobhit panch PA DAV dropadi aur unke sath laal wastron me Hanuman g
.Krishna Ki leela dekhane ke liye darshakon Ko intzaar rehta hai. गाँव विकासनगर
घाट की धड़कन है.यहाँ की ...........संस्कृति यहा............ँ एकता का परिचय देती
हैं ..., पाँडव नृत्य.------ महाभारत काल से कोरंवो और पाँडवो का इतिहास महत्वपूर्ण
हैं ..भगवान श्रीकृष्ण जी द्वारा पाँडवो का साथ देते रेह ने का इतिहास अंकित है
.,., पाँडव नृत्य का आयोजन---------सर्वप्रथम कार्तिक मास की पंचमी ..........तिथि
से पाँडव नृत्य का आयोजन किया जाता है | समस्त ग्राम वासीअपने आराध्य देव भगवान
श्रीकृष्ण की पूजा करके व्रत धारण करने के पश्चात धर्मराज युधिश्ठीर अर्जुन भीम
नकुल सहदेव तथा श्री बजरंग बली हनुमान माता कुन्ती , ग्राम देवता भूमियाल ओर
क्षेत्रपाल देवता की पूजा की जाती है . पंचमी के दिन अखन्ड दीपक जला कर पाँडवो का
इस्मरन किया जात है .. ततपश्चात वाद्ययन्त्रो के माध्यम से सक्तियां जागरण की जाति
है नृत्य के पश्चात यहाँ झूमेलो ओर चाँचद्दिया महिलाओं और पुरुषों के द्वारा संपन
की जाती है यह लगातार सात दिनो तक चलता है तत पश्चात यहा भंडारा लगाया जाता है |
जिसमे ग्राम वासी अपने अपने घर से पूजा सामग्री (मेवाद) लेजाकर अपने आराध्य देव को
अर्पित करते हैं | भक्तों को प्रसाद दिया जाता है जिसमे मुख्य रूप से पुरी पकोडी
दूध दही मक्खन कल्यो लठ्यू आदी| .yah her warsha Deepali ke kariban hee aayojit Ki
jati hain.jisme kuchh yuwa w kuchh buzurga natak ke patra bane rehte hain.
..safed wastron me sobhit panch PA DAV dropadi aur unke sath laal wastron me
Hanuman g .Krishna Ki leela dekhane ke liye darshakon Ko intzaar rehta hai. .yah
her warsha Deepali ke kariban hee aayojit Ki jati hain.jisme kuchh yuwa w kuchh
buzurga natak ke patra bane rehte hain.
Luvkush mahadev mandir naranbagar me isthit hai uttrakhand ke chamoli jile me naranbagar xetra me yahan aasthaa ke bemisaal sakti hai रामायण कालीन महर्षि वाल्मिकी की महान धरा एवं माता सीता के पुत्र लव-कुश का जन्मस्थल यहां हर साल श्रावन महीने के पावन पर्व पर धार्मिक पाठ का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। सनातन धर्म से जुड़ी धरती : सनातन धर्म की आस्था इस धरती से जुड़ी है रामायण कालीन महर्षि वाल्मिकी आश्रम एवं वैदेही विहार के रूप में माता सीता तथा लव-कुश की यादों को सहेजे यह धरती शांत मन को प्रफुल्लित करने वाली है। यहां शक्तिस्वरूपा मां काली की प्रतिमा सघन वृक्षों एवं पहाड़ों में विराजित है, जहां श्रदालु भोले नाथ के लिंग पर जलाभिषेक एवं अपनी मुरादें पूरी करने हेतू प्रति वर्ष श्रावन व माघ महीने में आते हैं लव-कुश के जन्म के मौजूद हैं तमाम सबूत ------- अब आश्रम की देखरेख कर रहे पंडित जी कहते हैं, इसी आश्रम में लव-कुश का जन्म हुआ था। इसके तमाम सबूत मौजूद हैं। यहाँ मंदिर में भोलेनाथ का विशाल शिवलिंग भी है एवं वहाँ से कुछ दूरी पर लव का मंदिर व एक विशाल चट्टान क...
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