Nandadevi sidhpeeth kurur me matarani ka poranik mandir hai .in vikasnagar ghat
नंदा देवी सिदपीठ कुरूङ
.is pawan mandir me ma nanda devi kee ki doli virajman hai.yah sidhpeeth kurur vikashnagar ghat me isthit hai.yahan ma bhagwati kee puja archana ke liye bhakton kee sankhya adhik hoti hai.yahan ke brahmana gour mandir ke pramukh pujari hain.yahan har warsh choti jaat ke roop me mahotswa ka aayojan kiya jata hai.jisme sanskritik karyakaram hote hain.yah mahotswa 3-4 dino tak chalta hai.bhaktjan hazzaron ki sankhya me yahan ma nanda devi ke darshan ke liye aate hain
मां नन्दा भगवती सिद्धपीठ कुरुड विकास नगर घाट चमोली में स्थित है। यहां मां नंदा देवी अपने चतुर्भुज रुप में विराजमान हैं। कुरुड धाम में मां नंदा देवी की डोली दो रुपों में निवास करती हैं। माँ नदा कुरुड-बधाण की डोली एवं माँ नंदा कुरुड-दशोली की डोली ्
कुरुड-बधाण नंदा की जात हर साल बधाण क्षेत्र में आती है एवं वैदिनी कुडं में पूजा कर वापस अपने ननिहाल देवराडा लौटती हैं।नंदा देवी वार्षिक जात में हजारों भक्त शामिल होते हैं। इसके मुख्य पडाव चरबंग ् फाली, उस्तोली, भेंटी, बगांली, डुंगरी, सूना, थराली, चेपडों, कोठी , फल्दिगाँव, ल्वाणी, मुन्दोली, और वाण हैंं।
नंदा देवी की डोली इसके बाद वैदिनी कुण्ड में जात सम्पन्न कर आली बुग्याल होते हुए बांक रुकती है तथा वापस अलग अलग मार्गों से होकर आती हैं। मुख्य मार्ग में बांक से ल्वाणी,उलंग्रा, बेराधार, गोठिन्डा, कुराड, डाखोली, देवराडा व दुसरा मार्ग नंदकेसरी, जोला, विजयपुर,थाला, बैकोली, लोलटी, तुंगेश्रवर होकर देवराडा पंहुचती है। देवराडा में मां नंदा की डोली छ: महीने निवास करती है इसके पश्चात सिद्धपीठ कुरुड को प्रस्थान करती हैं।
दशोली की जात विकासनगर घाट क्षेत्र में भ्रमण कर सप्तकुण्ड बालपाटा में भाद्रपद की सप्तमी को जात सम्पन्न की जाती है।और जात सम्पन्न होकर अपने मूल धाम कुरुड को वापस लौट आती है।
वार्षिक जात में डोली सम्पूर्ण दशोली-घाट क्षेत्र में भ्रमण करती है ।अपने भक्तों को दर्शन देकर मूल धाम कुरुड में आती हैं।कुरुड बधाण की वार्षिक जात वैदिनीकुण्ड तक व कुरुड दशोली की वार्षिक जात बालपाटा तक जाती है। जबकि नन्दा देवी राजजात(बडी जात) में कुरुड बधाण की डोली व दशोली की नन्दा देवी की डोलियाँ अलग-अलग मार्गों से होते हुये राजजात में नन्दकेशरी व वाण में सम्मिलित होकर होमकुण्ड तक जाती हैं। एवं नन्दा देवी कुरुड बधाण की डोली अपने ननिहाल देवराडा व कुरुड दशोली की डोली मूलधाम कुरुड वापस लौटती है।
इस यात्रा में हज़ारों-लाखों लोग देवी के दर्शनों के लिए सिद्धपीठ कुरुड आते हैं। सिद्धपीठ कुरुड में देवी चतुर्भुज शिलामूर्ती के रुप में विराजित है
pic of sidhpeeth kurur ghat garhwal
.......is mahotswa ka aayajan bhadra maas me arambha hota hai.tatha iske samapan m ma nanda ji kee doli raj yaatra ke liye jati hain.is rajjaat me kurur ke pujjari .tatha kuch bhaktjan samil hote hain. Yah prati saal wali rajjat ka bhraman kurur se USTOLI.SARPANI.BHATI Se badhan pahunchati h yaha se NANDKESARI ke liye prasthaan karati hain.vese to yahan harwarsha raj jat ka aayojan hota hai.parantu 12 salon me hone wali raj jat bhavya aur vishal hoti hai.jisme chosingha khadu ka avatar hota hai.ringaal ke chhatoli aur aabhusano.wastron se sobhit hoker ma raj rajeswari kee doli kee vidai kee jati hai.is raj yatra me sidhpeeth kurur me hazzaron lakhon kee sankhya me bhaktajan aate hain. मुख्य गर्भ गृह चतुर्भुजशिलामुर्ती yatra kurur se WAAN gaawn me nanda devi ke dharm bhai लाटू देवता ka poranik mandir hai yahan inkee puja ke bad raj jat yahan se hote hue GEROLI PATAAL.VETARANI.VEDINIKUND.PATATRE NACHONIYA.Adi jagah se hoker RUPKUND pahunchati hai.rupkund se aage yah JUNGRALIDHAR se aage antim padaw HOMKUND pahunchati hai.yaha se aage चौसिँग खाङू akele kailash kee aur jata hai.raj jat SOUTOL ho karke vikashnagar ghat wapas pahunchati hai.aur phir rajjat ja samapan hota hai
Luvkush mahadev mandir naranbagar me isthit hai uttrakhand ke chamoli jile me naranbagar xetra me yahan aasthaa ke bemisaal sakti hai रामायण कालीन महर्षि वाल्मिकी की महान धरा एवं माता सीता के पुत्र लव-कुश का जन्मस्थल यहां हर साल श्रावन महीने के पावन पर्व पर धार्मिक पाठ का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। सनातन धर्म से जुड़ी धरती : सनातन धर्म की आस्था इस धरती से जुड़ी है रामायण कालीन महर्षि वाल्मिकी आश्रम एवं वैदेही विहार के रूप में माता सीता तथा लव-कुश की यादों को सहेजे यह धरती शांत मन को प्रफुल्लित करने वाली है। यहां शक्तिस्वरूपा मां काली की प्रतिमा सघन वृक्षों एवं पहाड़ों में विराजित है, जहां श्रदालु भोले नाथ के लिंग पर जलाभिषेक एवं अपनी मुरादें पूरी करने हेतू प्रति वर्ष श्रावन व माघ महीने में आते हैं लव-कुश के जन्म के मौजूद हैं तमाम सबूत ------- अब आश्रम की देखरेख कर रहे पंडित जी कहते हैं, इसी आश्रम में लव-कुश का जन्म हुआ था। इसके तमाम सबूत मौजूद हैं। यहाँ मंदिर में भोलेनाथ का विशाल शिवलिंग भी है एवं वहाँ से कुछ दूरी पर लव का मंदिर व एक विशाल चट्टान क...
Nice bhai
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